मध्य प्रदेश के धार नगर में स्थित ऐतिहासिक भोजशाला एक मंदिर ही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किए गए सर्वे में इसके कई प्रमाण मिले हैं। एएसआई की रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि वर्तमान संरचना (कमाल मौला दरगाह) का निर्माण करने में यहां पहले से मौजूद रहे मंदिर के ही हिस्सों का उपयोग किया गया था। करीब दो हजार पेज की रिपोर्ट में 10 खंड हैं।
मध्य प्रदेश के धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला में इसी वर्ष 22 मार्च से 27 जून तक 98 दिन चले वैज्ञानिक सर्वे और इसमें मिले पुरातत्व महत्व के अवशेषों के आधार पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सोमवार को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में करीब दो हजार पन्नों की रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। रिपोर्ट की छह प्रतियां सौंपी गई हैं। इनमें दो प्रति कोर्ट के लिए, एक याचिकाकर्ता के लिए और तीन अन्य पक्षकारों के लिए है।
रिपोर्ट में 10 खंड हैं। जिन पक्षकारों को सर्वे रिपोर्ट सौंपी गई है, उनके अनुसार एएसआई को भोजशाला में मंदिर के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। रिपोर्ट में यह भी निष्कर्ष निकाला गया है कि वर्तमान संरचना (कमाल मौला दरगाह) का निर्माण करने में यहां पहले से मौजूद मंदिर के ही हिस्सों का उपयोग किया गया था। एएसआई के वकील हिमांशु जोशी ने बताया कि सर्वे के दौरान पुरावशेषों की कार्बन डे¨टग भी कराई गई। एकत्रित 1700 से ज्यादा प्रमाण और खोदाई में मिले अवशेषों का विश्लेषण किया गया है। निष्कर्ष 151 पन्नों में संकलित है। कोर्ट अब इस रिपोर्ट पर 22 जुलाई को सुनवाई में विचार करेगा।
सर्वे रिपोर्ट को लेकर पक्षकारों ने क्या कहा?
रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे में मिले स्तंभों और उसकी कला व वास्तुकला से यह कहा जा सकता है ये स्तंभ पहले मंदिर का हिस्सा थे, बाद में मस्जिद के स्तंभ बनाते समय उनका पुन: उपयोग किया गया। मौजूदा संरचना में चारों दिशाओं में खड़े 106 और आड़े 82 (कुल 188) स्तंभ मिले हैं। इनकी वास्तुकला से पुष्टि होती है कि ये स्तंभ मंदिरों का ही हिस्सा थे।